ताई

By विश्वंभरनाथ शर्मा 'कौशिक' 577 पढ़ा गया | 5.0 out of 5 (3 रेटिंग्स)
Literature & Fiction Family Social Mini-SeriesEnded4 एपिसोड्स
बाबू रामजीदास की पत्नी रामेश्वरी, जिसे उनके देवर के बच्चे ‘ताई’ कहकर पुकारते हैं, नि:संतान है। बाबूजी अपने भतीजे-भतीजियों से जितना लाड़ करते हैं, ताई अपने देवर के बच्चों से ईर्ष्या और द्वेष का भाव रखती है, लेकिन बाल मन का माधुर्य और चंचलता अपने लिए ममता तलाशने के रास्ते खोज ही लेता है। ‘ताई’ कहानी कई स्टारों पर अंधविश्वासों का खण्डन करती है, बाल-मनोविज्ञान को व्यंजित करती है और नारी मन की संकीर्णताओं को दूर करके पारिवारिक संबंधों को दृढ़ता और मधुरता प्रदान करती है।
रेटिंग्स और रिव्युज़
3 रेटिंग्स
5.0 out of 5
पूर्व गतिविधि
"Chandna Saxena"

manav man ki antradawand ko dikhati hui khoobsurat kahani hai.

"Shiv"

स्कूल के दिनों की yaad

"Jaya Das Mallick"

kalajayi rachana

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